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अशिक्षा

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अशिक्षा




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पिछले लगभग दो सौ वर्षों
से गरीबी तथा अशिक्षा भारत की प्रमुख समस्या रही है
| यह दोनों मात्र समस्या ही नहीं बल्कि एक अभिशाप है | भारत की 70 फीसदी आबादी अभी भी भरपेट खाना नहीं खा
पाती




भारत में आर्थिक विकास जितना बढ़ रहा है उतनी ही
गरीबी भी बढ़ रही है
| वास्तव में गरीबी और विषमता घटने की
बजाय बढ़ गई है
| सन २०११ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 37.2%
लोग गरीब है | यह आंकड़ा 2004-05 में किये गए 27.5% के आकलन से करीब 10 फीसदी अधिक है | इसका मतलब है कि 11 वर्षो में अतिरिक्त 11 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे
सरक गए हैं
| साक्षरता का प्रतिशत जरूर बढ़ा है इन वर्षों में
किंतु अशिक्षा अभी भी दूर नहीं हुई है
|


आजादी
के बाद के पिछले ६७ वर्षों में देश ने कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है
| देश के करोड़ों लोगों को इसका लाभ भी हुआ है | लोगों
की संपन्नता में वृद्धि हुई है
| जीवनस्तर में सुधार हुआ है |
लेकिन समाज का एक वर्ग अब भी ऐसा है जो इस प्रगति का कोई लाभ नहीं
उठा पाया है
| वह वर्ग है गरीबों तथा अशिक्षितों का |
उन की हालत पहले से ज्यादा खराब हो रही है | गरीबी
के कारण वे स्वयं अपनी प्रगति के लिए कुछ नहीं कर पाते
| सरकार
यदि उनके लिए कुछ करे तो उन्हें पता भी नहीं चलता क्योंकि वे अशिक्षित हैं
|
सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुँचाता ही नहीं | स्थिति ऐसी है कि अशिक्षा के कारण उन्हें अपने मूलभूत अधिकारों तक का पता
नहीं
| इस स्थिति के कारण देश को अपरिमित हानि हो रही है |


देश
के लोकतंत्र की सफलता बहुत बड़े पैमाने में इस बात पर निर्भर करती है कि देश के लोग
शिक्षित हैं या नहीं
| सही प्रतिनिधि चुनना, उसके कार्यों का मूल्यांकन, सरकार के कार्यों का
मुल्यांकन यह सारे चीजें बहुत जरूरी है लोकतंत्र की सफलता के लिए
| एक अशिक्षित व्यक्ति से इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपनी इन
जिम्मेदारियों को पूरा करे
| उसमे यह योग्यता ही नहीं होती |
इस तरह देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा लोकतंत्र में सहभागी हो ही
नहीं पाता
| इस स्थिति के कारण चुनाव में जो व्यक्ति चुना
जाता है वह वास्तव में लोगों का सच्चा प्रतिनिधि होता ही नहीं है
| लोकतंत्र का पतन यहीं से शुरू होता है | भारत में
लोग व्यक्ति की योग्यता नहीं बल्कि उसकी जाती
, धर्म व भाषा
देखकर वोट देते हैं
|


गरीब
तथा अशिक्षित व्यक्ति अपनी अज्ञानता के कारण अपने लिए सही प्रतिनिधि नहीं चुन पाते
| जो व्यक्ति चुन के आता है, वो
उनका वास्तविक हितैषी नहीं होता
| उसे पता होता है कि वह
लोगों की अज्ञानता के कारण ही चुन कर आया है
| इसलिए वह
उन्हें उसी स्थिति में रखना चाहता है
| इसके बाद शुरु होता
है बड़ी-बड़ी योजनाओं का खेल
| गरीबी, बेरोजगारी,
अशिक्षा मिटाने के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाई जाती हैं | इन योजनाओं से गरीबी तथा अशिक्षा का सफाया तो नहीं होता किंतु सरकार की
जेब से पैसा साफ़ होने लगता है
| यह योजनाएँ भ्रष्टाचार को
फलने फूलने में मदद करती है
| देश खोखला होना यहीं से शुरू
होता है
| गरीबी मिटाने के नाम पर भारत में बहुत सारी
योजनाएँ हैं
| इन सारी योजनाओं पर कई लाख करोड़ खर्च हो चुके
हैं
| पर इससे गरीबी नहीं मिटी, सिर्फ
भ्रष्टाचार बढ़ा
|


इन
हालातों के कारण देश के गरीबों तथा अशिक्षितों में असंतोष बढ़ता है
| उन्हें लगता है कि यह देश और यह समाज उनके लिए कुछ नहीं कर रहा | समाज का एक बड़ा वर्ग आनंद भोग रहा है पर हमारे लिए कुछ नहीं है इसमें |
उनका देश तथा समाज के प्रति मोहभंग होने लगता है | ऐसी स्थिति में वो अपराध की तरफ मुड़ने लगते हैं | थोड़े-थोड़े
से पैसों के लिए अपराध होना सामान्य बात हो जाती है
| संपन्न
वर्ग पैसों का लालच देकर उन्हें गलत कामों के लिए इस्तेमाल भी करते हैं
| समाज में अपराध बढ़ता जाता है व देश की शांति व्यवस्था भंग होने लगती है |
देश में अराजकता फैलती है | भारत के हर राज्य
में अपराध दर काफी ज्यादा है
| जिन क्षेत्रों में जितनी
ज्यादा गरीबी तथा अशिक्षा है
, उन क्षेत्रों में उतना ज्यादा
अपराध है
| बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे
राज्यों में अपराध अधिक होने का यही कारण है
| इसके विपरीत
संपन्न राज्यों में अपेक्षाकृत शांति है
|


देश
को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए हमने जो लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाई थी
, गरीबी तथा अशिक्षा के कारण वो व्यवस्था आज चरमरा गयी है | इसलिए आज यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि देश में होने वाले सारे
अनर्थों की जड़ यही गरीबी व अशिक्षा है
 




अशिक्षा से ही समाज की कुरीतिय बढती है और यही अशिक्षा ही समाज के पिछड़ेपन का कारण है |






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