भस्मासुर और शिव जी । देश की जनता और नेता
पौराणिक कथाओं में भस्मासुर नाम का एक राक्षस था । जिस ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उन की घोर तपस्या की । और अंत में शिव जी उस राक्षस की तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले मांगो, क्या चाहिए… ।
भस्मासुर बोला:- हे प्रभु मुझे ऐसी ताकत दे दो, कि मै जिस पर हाथ घुमाऊं । वह भस्म हो जाये ।
भोलेनाथ ने उसे वो ताकत दे दी ।
पर भस्मासुर ठहरा एक राक्षस । उसने सोचा कि इस ताकत का प्रयोग कर लें । टेस्ट कर लें । ये शक्ति काम करती है या नहीं ।
तो भस्मासुर ने उस शक्ति की सत्यता के लिए शिव जी पर ही उसका इस्तेमाल करने की सोची । अब शिव आगे और भस्मासुर पीछे – पीछे । ऐसे में कृष्ण भगवन आगे आये और अपनी लीला से शिव जी को बचाया ।
ठीक इसी प्रकार यह जो भारत की जनता है , यह भी शिव जी का प्रतिरूप है । भावुक अधिक है । कोई भी रोयेगा, पैर पकड़ेगा, जाति-सम्प्रदाय की दुहाई देगा, उसको अपनी ताकत दे देगी । और जनता से ताकत लेकर, शक्तिशाली बनते ही सबसे पहले इसी भोली भाली को डराएगा । और क्या क्या कहेगा ……..
मिलना है तो सर्किट हॉउस आ जाना…।
ज्यादा जोर से मत बोल…।
विरोध में काले झंडे दिखाए तो पुलिस से पिटवा दूंगा…
सवाल मत पूछ, लूटने दे ….. बाकी आप सब भुगत रहे होंगे ।
इसलिए जनता को अपनी मताधिकार की शक्ति का सोच समझकर प्रयोग करना चाहिए ।
वर्ना ….आप जानते हो अगले पांच साल में भी वही होना है जो पहले हुआ है । इसलिए किसी भी सफेद पोश भस्मासुर के रोने धोने, या जात धर्म के बहकावे में आकर उनको ऐसी ताकत मत दो कि वे आपको ही खाक कर दे । देश आजाद है और देश में प्रजातंत्र है । किसी इंसान को बंदूक की नोक पर रखना आजादी नहीं होती । इसलिए सोच समझकर किसी को ताकत दो ……।
हर बार विष्णु नहीं आएंगे बचाने ।
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